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सूर्य की उपासना में जल ( अर्ध्य ) क्‍यों? – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

सूर्य की उपासना में जल ( अर्ध्य ) क्‍यों? 

स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है। इसलिए कहा जाता है कि प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर आंगों को प्‌न: सशक्त ओर सक्रिय बनाने की अद्भुत क्षमता है। इन्हीं बातों को हि में रखकर ही हमारे पूर्वजों ने सूर्य को अर्घ्य देने का विधान बनाकर इसे धार्मिक रूप दे दिया। गायत्री मंत्र के साथ सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे रहस्य यह है कि मंदेह नामक सुक्ष्म जीवाणुओं का नाश होता है। मंदेह जीवाणु उन्हें कहते हैं. जो अंधकार ओर प्रकाश के मिलने से स्वयं पैदा हो जाते हैं एवं लोगों को हानि पहुंचाते हैं। इसलिए संध्या कर्म भी इसी संधिकाल में करने का विधान है। उल्लेखनीय है कि इससे भगवान्‌ सूर्य प्रसन्‍नन होकर आयु, आरोग्य, ध न-धान्य, क्षेत्र, पुत्र, मित्र, तेज, वीर्य, यश, कांति, विद्या, वेभव ओर सोभाग्य आदि प्रदान करते हैं। और सूर्यलोक की प्राप्ति होती हे।
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