Home Hindu Fastivals तुलसी का विशेष महत्व क्‍यों? – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

तुलसी का विशेष महत्व क्‍यों? – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

1 second read
1
0
180

तुलसी का विशेष महत्व क्‍यों?

पद्मपुराण में तुलसी का पूर्वजन्म में जालंधर नामक देत्य की पत्नी वुंदा बतलाया गया है। जालंधर को हराने के लिए विष्णु ने वृंदा का सतीत्व भंग किया और फिर उन्हीं के वरदान स वह तुलसी का पौधा बनकर समस्त लोक में पूजी जाने लगी। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार हर हिंदू घर के आंगन में कम से कम एक तुलसी का पोधा अवश्य होना चाहिए। कार्तिकमास में तुलसी का पौधा लगाने का बड़ा महत्व माना गया है स्कदपुराण में लिखा हे कि इस मास में जो जितने तुलसी के पोधे लगाता है, वह उतने ही जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। पद्मपुराण में उल्लेख हे कि जिस घर में तुलसी का उद्यान होता है, वह तीर्थरूप होता है और उसमें यमराज के दूतों का प्रवेश नहीं होता। जिस घर की भूमि (आंगन)तुलसी के नीचे की मिट्टी से लिपी रहती है, उसमें रोगों के कीटाणु प्रवेश नहीं करते। तुलसी के पत्ते यानी तुलसीदल का भी काफी महत्व माना जाता है। जो व्यक्ति सदैव तीनों समय तुलसीदल का सेवन करता है, उसका शरीर शुद्ध हो जाता है। जो व्यक्ति स्नान के जल में तुलसी डालकर उपयोग में लाता है। वह सब तीथों में नहाया हुआ समझा जाता है ओर जब यज्ञों में बैठने का अधि कारी बनता है। जो व्यक्ति तुलसीदल मिश्रित चरणामृत का नियमित सेवन करता है, वह सब पापों से छुटकारा पाकर अंत में सदगति को प्राप्त करता है, वह शारीरिक विकारों व रोगों से बचता है और अकालमृत्यु को प्राप्त नहीं होता। प्रत्येक पूजा पाठ और प्रसाद में तुलसीदल का उपयोग करने का विधान है। मरते हुए व्यक्ति के मुख में तुलसीदल और गंगाजल डालने से त्रिदोष नाशक औषधि बन जाती है और आत्मा पवित्र होकर मुक्त होती है दूषित जल के शोधन हेतु तुलसीदल डाला जाता है।
हर शाम तुलसी के पौधे की पूजा, आरती और उसके नीचे दीपक जलाने से सती वृंदा की कृपा मिलती है ओर भगवान्‌ विष्णु स्वयं उसकी रक्षा करते हैं। वृंदा की भक्ति और विष्णु के प्रति उसका समर्पण तुलसी की सुगंध और उसके पत्तों में आ गई, ऐसा कहा जाता हे। सोमवती अमावस्या को तुलसी की 108 परिक्रमा करने का विधान है। परिक्रमा से दरिद्रता मिटद्वीं है।
ब्रह्मवेवर्तपुराण में तुलसी की महत्ता का विशेष वर्णन मिलता है
सुधाघटसहस्रेण सा तुष्टिर्न भवेद्धरे:। या च तुष्टिर्भनेवेन्‍ननणा तुलसीपत्र दानत:॥ -ब्रह्मवेवर्तपुराण/प्रकृतिखंड 21/40
अर्थात हजारों घड़े अमृत से नहलाने पर भी भगवान्‌ श्रीहरि को उतनी तृप्ति नहीं होती हे, जितनी वे तुलसी का एक पत्ता चढ़ाने से प्राप्त करते हें आगे श्लोक 44 में लिखा हे कि जो मानव प्रतिदिन तुलसी का पत्ता चढाकर भगवान्‌ श्रीहरि नारायण की पूजा करता है, वह लाख अश्वमेध-यज्ञों का फल पा लेता है। श्लोक 49 मं तो यहां तक लिखा गया है कि मृत्यु के समय जिसके मुख में तुलसी के जल का एक कण भी चला जाता है, वह अवश्य ही विष्णुलोक जाता है।
पद्मपुरण के सर्वमास विधिवर्णन में कहा गया है कि धात्री के फलों से युक्त तुलसी के दलों से मिले हुए जल से जो कोई भी मानव स्नान किया करता हे। उसका भागीरथी गंगा के स्नान का पुण्यफल प्राप्त होता है।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Hindu Fastivals

One Comment

  1. Zeytinburnu Nakliyeci

    September 26, 2023 at 3:51 pm

    I have learn some excellent stuff here. Certainly worth
    bookmarking for revisiting. I surprise how a lot attempt you set to create
    this type of great informative web site.

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…