भगवान् कहाँ-कहाँ रहते हैं !
बहुत पहले की बात है कोई नरोत्तम नाम का ब्राह्मण था। उसके घर में माँ-बाप थे। तथापि वह उनकी परिचर्या न कर तीर्थयात्रा के लिये निकल पड़ा। उसने अनेक तीर्थो में पर्यटन तथा अवगाहन किया, जिसके प्रताप से उसके गीले वस्त्र निरालम्ब आकाश में उडने और सूखने लगे। जब उसने यों ही स्वच्छद गति से अपने वस्त्रों को आकाश में उड़ते चलते देखा, तब उसे अपनी तीर्थ चर्या का महान् अहंकार हो गया।