वाराह चतुर्दशी
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को वाराह चतुर्दशी का ब्रते किया जाता है। इस दिन भगवान वाराह की पूजा का विधान है। कहते हैं कि इस दिन भगवान वाराह ने अवतार लिया था। भगवान वाराह को प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर भोग लगाने के उपरांत आरती उतारी जाती है। हिरण्याक्ष वध की कहानी कहने और सुनने की प्रथा है उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दी जाती है। इस व्रत को करने से भूत-प्रेतादि सम्बन्धी सभी बाधायें दूर हो जाती हैं।