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तुलसीजी का ब्याह – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

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तुलसीजी का ब्याह 

पांच जनी के झूम के तुलसी पानी ने चाली ओ राम। संग की सहेली यूं कहें तुला ओड क्वारी ओ रामा। सिर की गगरया धूं पट की तुलसा, ठिनकत आई ओ राम। के बेटी तने भूत डेराइग्रे के तू अलसेडे में आई ओ राम। संग की सहेली यूं कहे तुलला ओड क्वारी ओ राम। ओ बेटी तने श्रीकृष्ण बर॒ दूंढहा ओ राम कही बेटी तने, शिवजी प्रणाम ओ राम शिवजी मेरे बाबुल धूनी रमावें, लटाएं बखेरे ओ रामा कहो बेटी सूरज प्रनामा ओ राम। सूरज मेरे बाबुल तपेए घनेरा कहो नारद प्रनामा ओ राम। नारद मेरे बाबुल धूम मचावे ओ राम बारह बरस बाबा नेम निभावां जबरे श्रीकृष्ण पावां ओ राम। सावन में मेरे बाबुल हरा न खाया तो भादों में दही न खाई ओ राम। आसोज में मेरे बाबुल दूध न पीवां ओ रामा कार्तिक में मेरे बाबुल घी न के खावां ओ राम। मंगसिर में मेरे बाबुल मांग न भरी तो पोहे में सोढ़ न ओड़ी ओ राम। माह में माजल नहाई ओ राम। फाल्गुन में मेरे बाबुल फगवा न खेली ओ राम। 

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फाल्गुन में मेरे बाबुल फगवा न खेली ओ राम। चैत में मेरे बाबुल चिंता उपाई ओ रामा बेसाख में मेरे बाबुल आक भी सींचा ओ राम जेठ में मेरे बाबुल जेठुर भराया ओ राम। आसाढ में मेरे बाबुल बंगला न साई ओ राम बारह बरस नेम निभाया ओ राम जबरे कृष्णवर पाया ओ राम जो हमारी तुलसारा ब्यावल गावें जो जन्म मरण छूट जावें ओ राम। बाली गावें घर वर पावें तो तरनी पुत्र खिलाबें ओ राम। ओ राम बुढ़ी गावें जमुना नहावें तो स्वर्ग पालकी आवें ओ राम। 
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