तुलसीजी का भजन
पांच जनों ने मता उपाया कृष्ण ढूंढने चालो मेरे राम।
गोकुल ढूंढी मथूरा ढूंढी, ढूंढी कुंज, गली मेरे राम। कहीं ना पायो नन्द जी को लाला तुलसा का बिडला पायो मेरे राम। ऊपर तुलसा घेर घुमरी तले कृष्णवर सोए मेरे शम। के म्हारी तुलसा तू जान जुगारी, के तू कामन गारी मेरे राम। ना मेरी बहना जान जुगारी ना में कामन गारी मेरे राम। मीठा बोला नेके चाला, लागी कृष्ण जी ने प्यारी मेरे राम। जो म्हारी तुलसा न बिडला गावें जन्म मरण छूट जावे मेरे राम।
बूढ़ी गावें, गंगा जमुना न्हावें, स्वर्ग पालकी आवें मेरे राम। मैं गावा म्हारे राम जी लड़ावा, पूरे मन की आशा मेरे राम।