बहुत बुरा लगा ब्राह्मण को। वे उठकर चले आये। परंतु उन्हीं ने श्रीमदूभागवत का अध्ययन छोडा नहीं। पूरा ग्रन्थ कण्ठस्थ करके वे फिर नरेश के पास गये। किंतु उन्हें फिर वही उत्तर मिला-आप कुछ दिन और श्रीमदृभागव्त का अध्ययन करे।
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True Study |
तब राजा ने उन्हें बुलाने को दूत भेजा किंतु अब नि:स्पृह ब्राह्मण उनके यहाँ क्यों जाने लगे थे। अन्त में राजा स्वयं उनकी झोंपडी में पधारे। उन्होंने कहा-ब्रह्मण आप मुझे क्षमा करे। श्रीमदूभागव्त का ठीक अध्ययन आपने अब किया है। वैराग्य और भगवदृभक्ति न आयी तो भागवत पढ़ने से लाभ क्या। आप पाठ का, अब यहीं आपके चरणों में बैठकर मैं आपके श्रीमुख से श्रीमदभगव्त श्रवण करूँगा। -सुं० सिं०