सच्ची क्षमा द्वेष पर विजय पाती है
राजा विश्वामित्र सेना के साथ आखेट के लिये निकले थे। वन में घूमते हुए वे महर्षि वसिष्ठ के आश्रम के समीप पहुँच गये। महर्षि ने उनका आतिथ्य किया। विश्वामित्र यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये कि उनकी पूरी सेना का सत्कार कुटिया में रहने वाले उस तपस्वी ऋषि ने राजोचित भोजन से किया। जब उन्हें पता लगा कि नन्दिनी गाय के प्रभाव से ही वसिष्ठ जी यह सब कर सके हैं तो उन्होंने ऋषि से वह गौ माँगी।