Home Satkatha Ank सबसे भयंकर शत्रु-आलस्य-The worst enemy-laziness.

सबसे भयंकर शत्रु-आलस्य-The worst enemy-laziness.

3 second read
0
0
89
Sbse bhaynkar satru alsya
सबसे भयंकर शत्रु-आलस्य
पुरानी बात है। एक पूर्वजन्म का स्मरण करने वाला जातिस्मर ऊँट था। वह वन में रहकर कठोर नियमों का पालन करता हुआ तप कर रहा था। उसकी तपस्या पूरी होने पर ब्रह्माजी ने उसे वर माँगने को कहा। वह ऊँट स्वभाव से बड़ा आलसी था।
उसने वर माँगा- ‘भगवन् ! मेरी गर्दन सौ योजन की हो जाय जिसमें मैं उतनी दूरतक की घास एक जगह से बैठे-बैठे ही चर सकूँ। ब्रह्माजी भी ‘तथास्तु’ कहकर चल दिये। अब क्या था, वह आलसी ऊँट कहीं चरने नहीं जाता और एक ही जगह बैठा रहकर भोजन कर लेता था।
the worst enemy is laziness motivational kahani in hindi
एक बार वह अपनी सौ योजन लंबी गर्दन फैलाये कहीं निश्चिन्त घूम रहा था। इतने बड़े जोरों की आँधी आयी और घोर वृष्टि भी शुरू हो गयी। अब उस मूर्ख पशु ने अपने सिर और गर्दन को एक कन्दरा में घुसेड़ दिया। उसी समय उस आँधी और जलवृष्टि से आक्रान्त एक गीदड़ अपनी गीदड़ी के साथ उस गुफा में शरण लेने आया। वह मांसाहारी शृगाल सर्दी, भूख और थकानसे पीड़ित था। वहाँ उसने ऊँट की गर्दन देखी और झट उसी को खाना आरम्भ कर दिया।
जब इस आलसी, बुद्धिहीन ऊँट को इसका पता चला, तब दुःख से अपने सिर को इधर-उधर हिलाने लगा। उसने
अपनी गर्दन निकालने का प्रयत्न किया पर वह सफल न हो सका। गीदड़-गीदड़ी ने भरपेट उसका मांस खाया और परिणाम स्वरूप ऊँट की मृत्यु हो गयी।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Satkatha Ank

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…