( वेश्या का उद्धार )
किसी शहर् में एक वेश्या थी। उसका नाम था जीवन्ती। उसे कोई संतान न थी। इसलिये उसने एक सुग्गे (तोते) का बच्चा खरीद लिया और पुत्रवत् उसे पालने लग गयी। वह सुग्गे को ‘राम राम राम राम” पढ़ाने लगी। अभ्यास से सुग्गा (तोता) “राम-राम’ बोलना सीख गया और सुन्दर स्वरों से वह प्रायः सर्वदा ‘राम-राम’ ही करता रहता।