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”जो गुड़ ठीने ही मरत क्यों विष दीजे ताहि ”

 ”जो गुड़ ठीने ही मरत क्यों विष दीजे ताहि ”

एक लालाजी ने अपने सिर को एक नाई से घुटवाया। नाई कुछ दुष्ट प्रकृति का था। लालाजी का सिर घोटने के बाद नाई ने उनके सिर पर एक चपत जमा दी। लालाजी भी बड़े चतुर थे। उन्होंने नाई को चपत मारने के दो पैसे प्रदान किये। अब नाई को चपत लगाने की आदत पड़ गई। एक दिन वह किसी पहलवान की हजामत बना रहा था, तब नाई ने उसकी खोपड़ी पर भी चपत लगा दी। पहलवान ने नाई की खूब हजामत तबियत से बनाई।
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