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Kabir Ke Shabd |
तनै तो मेरा पिया मोह लिया है,
सुन चटक चुन्दड़ी आली।
माली नै एक बाग लगाया, बीच लगाई फुलवाड़ी।
ओरै धोरै खिल रही क्यारी, फूलों की छवि न्यारी।
चुन चुन कंकर महल बनाया, बीच बनी अलमारी।
ओरै धोरै खुल रही झांकी, या छज्जे की छवि न्यारी।।
मल मल के तनै काया धोइ, खूब करी सजाई।
सुवर्ण काया माटी होगी, अग्नि बीच जलाई।।
क्यूँ तूँ चालै अकड़ अकड़ के, कहता कुनबा भारी।
पिंजरे से तोता उड़ जागा, यो लेजा हंस उडारी।।
कह कबीर सुनो भई साधो, मत बन तूँ अभिमानी।
मत कर मेरा मेरी पगले, साथ नहीं कुछ जानी।।
Zeytinburnu Nakliye
October 15, 2023 at 11:09 pm
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