Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
तनै तो मेरा पिया मोह लिया है,
सुन चटक चुन्दड़ी आली।
माली नै एक बाग लगाया, बीच लगाई फुलवाड़ी।
ओरै धोरै खिल रही क्यारी, फूलों की छवि न्यारी।
चुन चुन कंकर महल बनाया, बीच बनी अलमारी।
ओरै धोरै खुल रही झांकी, या छज्जे की छवि न्यारी।।
मल मल के तनै काया धोइ, खूब करी सजाई।
सुवर्ण काया माटी होगी, अग्नि बीच जलाई।।
क्यूँ तूँ चालै अकड़ अकड़ के, कहता कुनबा भारी।
पिंजरे से तोता उड़ जागा, यो लेजा हंस उडारी।।
कह कबीर सुनो भई साधो, मत बन तूँ अभिमानी।
मत कर मेरा मेरी पगले, साथ नहीं कुछ जानी।।
One Response
Hi there, just became aware of your blog through Google, and found that it is really informative.
I’m going to watch out for brussels. I’ll appreciate if you continue this in future.
Lots of people will be benefited from your writing.
Cheers!