सूर्य षष्ठी व्रत
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी को सूर्य षष्ठी का ब्रत करने का विधान है। इसे करने वाली स्त्रियां धन-धान्य, पति-पुत्र तथा सुख समृद्धि से परिपूर्ण रहती है। यह व्रत बड़े नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। इसमें तीन दिन के कठोर उपवास का विधान है। इस ब्रत को करने वाली स्त्रियों को पंचमी को एक बार नमक रहित भोजन करना पड़ता है। षष्ठी को निर्जल रहकर ब्रत करना पड़ता है। षष्ठी को अस्त होते हुए सूर्य को विधिपूर्वक पूजा करके अर्ध्य देते हैं। सप्तमी के दिन प्रातः:काल नदी या तालाब पर जाकर स्नान करती हें। सूर्योदय होते ही अर्घ्य देकर ग्रहण करके ब्रत को खोलती हैं।