राम-लक्ष्मण की कहानी
एक नगर में एक जाट-जाटनी रहते थे, वे बहुत ही गरीब थे। एक बार जाटनी जाट से बोली-मै तुम्हें चार रोटी बनाकर दूंगी। तुम नदी किनारे जाना। वहां राम और लक्ष्मण आते हैं। वहां पर जाकर कहना-
राम बंडे लक्ष्मण छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
जाट रस्ते-रस्ते याद करता चला गया पर वहां जाकर भूल गया। वहां बोला
लक्ष्मण बडे राम छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बेठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
राम बोले लक्ष्मण से-लक्ष्मण तुम्हें बड़ा बताया है तुम कुछ दो। लक्ष्मण जी बोले-हे राम भईया इसकी बुद्धि मलिन हो गई है यह मूर्ख व्यक्ति है कहीं राम से भी बड़ा कोई दुनिया में है भला! राम बोले-नहीं लक्ष्मण, तुम्हें बड़ा बताया, तुम्हीं कुछ दो। लक्ष्मण ने थोथे बाँस में मोहर अशर्फी भर दे दी। रास्ते में मोहर-अशर्फी चोरों ने लूट ली। घर गया तो जाटनी बोली-कुछ मिला? जाट बोला-हाँ, मिला तो बहुत कुछ था परन्तु रास्ते में चोरों ने लूट लिया। जाटनी ने कहा-कोई बात नहीं कल फिर जाना।
अगले दिन फिर चार रोटी बनाकर दीं फिर सिखाया –
राम बडे लक्ष्मण छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
जाट रस्ते-रस्ते याद करता चला गया पर वहां जाकर भूल गया। वहां बोला –
लक्ष्मण बड़े राम छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
राम बोले -हे लक्ष्मण आज भी तुम्हें बड़ा बताया है तुम ही इसे कुछ दो। लक्ष्मण बोले-हे राम! इसकी बुद्धि कुपित हो गई है, मूर्ख मति वाला व्यक्ति हे यह कहीं, राम से बड़ा कोई दुनिया में है नहीं। राम बोले-लक्ष्मण तुम्हें ही बड़ा बताया तुम्हीं कुछ दो। लक्ष्मण ने सोने की ईट दे दी। रास्ते में चोरों ने लूट ली। घर गया। जाटनी ने पूछा-कुछ मिला? जाट बोला-मिला तो था रास्ते में चोरों ने लूट लिया। जाटनी बोली-तुमने क्या कहा? जाट बोला –
मैंने तो लक्ष्मण बडे राम छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
जाटनी बोली-तुम ते बहु ही भोले हो कहीं भगवान राम से बड़ा कोई है? कल फिर जाना, और ठीक-ठीक बोलना। अगले दिन जाट फिर गया। उस दिन उसने ठीक-ठीक बोला
राम बड़े लक्ष्मण छोटे वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे अम्बे की डाली
वो बैठे चम्बे की डाली
मट्टी का दशरथ बनावें
मक्खन मिश्री का भोग लगावें
दे परिक्रमा घर को आवें।
लक्ष्मण बोले-हे राम आज इसको अक्ल आ गई। इसको कुछ दे दो। राम मुस्कराते हुए आये और बोले-भाई मेरे पास क्या है? यह जोहड की मिट्टी है, ले जा। यह कहकर अपने हाथ से थोड़ी-सी मिट्टी की डली दे दी। जाट बड़बड़ करने लगा। बुढ़िया माई ने उलटी सीख दी-रोज सोना चांदी मिला करता था, आज मिट्टी की डली मिली। मिटटी लेकर घर की ओर चल दिया। बीच रास्ते में चोरों ने मिट्टी देखी। मिट्टी देखकर कुछ नहीं बोले। घर गया तो जाटनी बोली-कुछ मिला? हाँ तेशै उल्टी सीख के कारण मिट्टी की डली मिली है, जाट ने उत्तर दिया। जाटनी बोली-कोई बात नहीं कुछ तो लेकर घर में आया। बडे रोज तुप खाली हाथ घर पर आते थे। मिट्टी कुछ-न-कुछ काम तो आयेगी! चूल्हा लीपेगी, आंगन लीपेगी
वे तुलसी के पौधे के नीचे रखकर सो गये। सवेरे उठकर देखा तो हीरे-मोती जगमगा रहे हैं। भगवान राम तो मिट्टी का भी सोना कर दें। जैसे भगवान राम ने उनकी दरिद्रता दूर की, इस प्रकार सभी की दरिद्रता दूर करना कहने वाले ओर सुनने वाले सभी की। कार्तिक का महीना लगते ही पूर्णिमा से लेकर उतरते कार्तिक की पूर्णिमा तक रोज सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके गंगाजी की पूजा करनी चाहिए। घर में भी स्नान कर सकते हैं। पांच ईंट या पांच पत्थर के टुकड़े रखकर पथवारी बनाएं। पथवारी माता, तुलसी, बड़, पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। जल, रोली, मोली, रोली, चंदन, चावल, फल, प्रसाद चढ़ायें और धूप दीपक जलाकर आरती उतारें और दक्षिणा चढ़ायें। रोज पथवारी और तुलसी का भजन करना चाहिएं। सांयकाल में भी दीपक जलाकर भजन आदि करा चाहिए। अगर हो सके तो कार्तिक का ब्रत करें। कार्तिक में कार्तिक महात्म्य सुनना चाहिए।