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पोपा बाई की कहानी – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

पोपा बाई की कहानी  

एक पोपा बाई थी। वह नियम- व्रत बहुत रखती थी। एक दिन अपने भाई भाभी से बोली कि में शादी नहीं करूंगी। मेरी झोंपड़ी गांव के बाहर बनवा दो और गांव की स्त्रियों से कहो कि आप अपनी गाय और बछडे मेरे यहां घास फूंस चरने को भेज दिया करो। बचा खुचा हुआ खाना मुझे भेज दिया करो। एक दिन नगर का राजा शिकार खेलने जंगल में गया। जंगल में झोपड़ी देखकर वहीं रुक गया और बोला कि इस झोंपडी में कौन रहता है? 
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जब अन्दर से कोई आवाज नहीं सुनाई दी तो वह बारम्बार दरवाजा खटखटाने लगा। तब पोपा बाई उठी और बोली कि कौन है जो मेरे द्वार पर आवाज दे रहा है। राजा ने कहा  में इस नगर का राजा हू और तेरे साथ शादी करूंगा। तब पोपा बाई ने कहा कि जहां से आए हो वहीं चले जाओ। मैं पराए पुरुष का मुंह नहीं देखती। राजा जबरदस्ती पोपा को उठाकर ले जाने लगा। रास्ते में पोपा बाई ने राजा को शाप दिया कि उसका सारा राज पाट नष्ट हो जाए। जब वह नगर में पहुंचा तो रानियां कहने लगीं कि आप इसको वापस उसी झोंपड़ी में छोड़ आओ। राजा जब पोपा बाई को छोड़ने गया तो रास्ते में पाप की नदी आई। राजा उस पाप की नदी में डूब गया। पोपा बाई धर्मराजजी के यहां पहुंची तो धर्मराजजी ने पोपा बाई को स्वर्ग का राज दे दिया। 
एक बार सेठ सेठानी मृत्यु लोक से स्वर्ग लोक को सिधारे। प्रवेश करने के लिए स्वर्ग का द्वार बंद देखकर, उन्होंने धर्मराजजी को द्वार खोलने का आग्रह किया। तब धर्मराजजी ने कहा-इस द्वार पर पोपा बाई का राज है। 
तब सेठ सेठानी ने कहा कि हम पोपा बाई को नहीं जानते। तब धर्मराजजी ने कहा कि सात दिन मृत्युलोक में जाकर आठ खोपरा से राई भरकर, पांचों कपड़ा ऊपर रखकर कहानी सुनकर उद्यापन करें और कहें 
राज हे पोपा बाई लेखा लेगी राई राई का। 
बोलो पोषपा बाई की जय। 
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