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नौ ग्रह की कहानी – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

नौ ग्रह की कहानी 

 एक गांव में दो बहन भाई थे। भाई अपनी बहन से मिलने जा रहा था। रास्ते में सांप बेठा था, बोला-मैं तुझे डस लूंगा। भाई बोला-तू मुझे मत डस! मैं अपनी माँ का एकलोताबेय हूँ अपनी बहन का एक ही भाई हूं। सांप बोला-ना तेरे नौ ग्रह की दशा चल रही मैं तुझे डसूंगा ही। अच्छी बात है, में अपनी बहन से मिल कर आ जाऊँ, आते समय डस लेना। क्या पता तू इस राह आये या न आये मैं तो अभी डसूँगा। अच्छा तू मेरे थेले में बैठ जा, सर्प थेले में बेठ गया ऊपर से बेल-पत्ते ढक लिये, भाई बहन के घर गया। बहन नौ ग्रह की कहानी कह रही थी। बहन भाई से बोली, भाई तू बैठ जा। पीछे बातचीत करेंगे पहले मेरी कहानी सुन ले। बहन ने कहानी शुरू की। जीव की जानवर की हाथी की घोड़े की भाई बहन की घर के धनी को। धी के जमाई की देवरानी की जेठानी की सास की ससुर की संग को सहेलियों की सबको ग्रह शांत हो जाओ। 
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ग्रह चाले आठ पग बन्‍्दा चाले आठ पग साँप बिच्छू भँवरे सब आग में जल जायें। कहानी कहकर खड़ी हो गई। भाई से बोली : भाई थैले में क्या लाया है, हे बहन कुछ नहीं लाया, जबरदस्ती बहन ने थैला छीन लिया। थैला खोल लिया तो देखा बेल-पत्ते के केले, सन्तरे बन गये और सांप का हार बन गया, केले, संतरे बच्चों को दे दिए, और हार खुद ने पहन लिया! हार पहन के बाहर आई। तो भाई बोला-बहन व तो बहुत गरीब थी इतना महंगा हार कहां से लाई। बहन बोली हां भाई में तो बहुत गरीब थी ये हार तू ही तो लाया है मेरे लिये! भाई बोला-नहीं बहन में तो तेरा हार नहीं लाया। मैं तो अपनी मौत लाया था तेरी कहानी कहने से ये नाग का हार बन गया! ये तेरे भाग्य का है इसे तू ही रख। 
बहन भाई से बोली-भाई तुम्हारे नौ ग्रह की दशा चल रही है मेरी भाभी से. कहना वह नौ ग्रह की कहानी कहा करेगी। घर गया। अपनी बहू से बोला-हमारे नो ग्रह की दशा चल रही है हम कहानी कहेंगे। तू कहे मैं सुनूँगा में कहूँ तू सुनना। चावल चीनी के दाने ले आ लोटा भर के पानी ला। उसकी पत्नी एक लोटे में चावल ओर चीनी डालकर ले आईं। कहानी कही जीव की, जानवर की, हाथी की, घोड़े की, कुत्ते की, बिल्ली की, देवरानी की, जेठानी की, सास की, सुसर की, घर के धनी की, बहन की, भाई की, सबकी नो ग्रह शान्त हो जायें। ग्रह चले आठ पग बन्दा चले चार पग, साँप बिच्छू भंवरे सब आग में जल जायें। आज वार, शरिवार, रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार आठों बार को नमस्कार! धरती माता को नमस्कार! नो ग्रह को नमस्कार! जैसे नौ ग्रह की दशा बहन की उतारी ऐसी सबकी उतारना, कहते की सुनते की सभी की।
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