गीता में आत्मा
गीता के उपदेश के अनुसार आत्मा अजर-अमर है, अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण ने कहा था कि जिस तरह मनुष्य पुराने कपड़ों को त्यागकर नए वस्त्र धारण करता है उसी तरह आत्मा भी पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करती है। आत्मा को ना कोई व्यक्ति जन्म दे पाया है और ना ही उसे कोई समाप्त कर सकता है।
2. अटल सत्य
इस दुनिया का सबसे बड़ा सत्य ही यही है जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है। कोई भी व्यक्ति चाहे कितना ही ताकतवर या धनवान क्यों ना हो, वह कभी अपनी मौत को नहीं टाल सकता।
3. आत्मा का आकार
ईश्वर ने सभी को अलग-अलग दिखने वाले शरीर दिए हैं, सभी की अलग-अलग आकृति है, अलग-अलग आकार है। लेकिन क्या हम सभी की आत्माएं भी अलग-अलग आकार और चेहरे की होती हैं?
4. अनसुलझी पहेली
यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब शोध का विषय बना हुआ है। धार्मिक शोधकर्ता अपने हिसाब से इसका उत्तर देते हैं और वैज्ञानिक अलग ही तरीकों से इस पहेली का उत्तर ढूंढ़ने में लगे हैं कि आखिर आत्मा का वास्तविक आकार कैसा होता है?
5. श्वेताश्वतरनोपनिषद्
हम में से किसी ने भी अपनी नग्न आंखों से मनुष्य शरीर में रहने वाली आत्मा को नहीं देखा लेकिन श्वेताश्वतरनोपनिषद् में मनुष्य शरीर को छोड़कर जाने वाली आत्मा के आकार और विस्तार की गहन जानकारी उपलब्ध है।
6. कृष्ण यजुर्वेद
113 मंत्र और छ: अध्यायों वाला श्वेताश्वतरनोपनिषद्, कृष्ण यजुर्वेद से संबंधित है। अनुमान के अनुसार इसकी ज्यादातर रचना श्वेताश्वतर ऋषि द्वारा करीब चौथी शताब्दी ईसापूर्व की गई थी। अन्य व्याख्याताओं में आदि शंकराचार्य, विजननात्मा, शंकरनंद और नारायण तीर्थ का नाम शामिल है।
7. शैव धर्म
श्वेताश्वतरनोपनिषद्, शैव धर्म से संबंधित पहला ऐसा लिखित दस्तावेज है, जिसमें रुद्र को भगवान या ईश की उपाधि प्रदान की गई है। बाद में रुद्र को ही शिव नाम से स्वीकार किया गया।
8. पहेली
चलिए आज हम श्वेताश्वतरनोपनिषद् में दर्ज जवाबों के आधार पर इन पहेलियों को सुलझाने की कोशिश करते हैं।
9. सूक्ष्मता
श्वेताश्वतरनोपनिषद् में आत्मा के आकार से जुड़े उल्लेख के अनुसार मनुष्य के सिर के बाल के ऊपरी हिस्से को सौ भागों में बांट दिया जाए, फिर प्रत्येक भाग के सौ हिस्से कर दिए जाएं। फिर जो माप आएगा, असल में आत्मा का वही आकार होता है।
10. स्वामी प्रभुपाद
स्वामी प्रभुपाद द्वारा लिखित चैतन्य चरितामृत में भी आत्मा का उल्लेख कुछ इसी तरह किया गया है। सिर के बाल के दस हजार हिस्से कर देने के बाद प्रत्येक हिस्सा आत्मा का कण बन जाता है। मानव शरीर में ऐसे कई कण विद्यमान हैं, जो मिलकर आत्मा का निर्माण करते हैं।
11. भगवद गीता में आत्मा का स्वरूप
भगवद गीता में तो उल्लिखित है ही कि आत्मा अनश्वर है, इसे कभी मिटाया नहीं जा सकता और ना ही कभी नग्न दृष्टि से आत्मा के दर्शन किए जा सकते हैं। मानव शरीर का हर भाग एक दिन मिट्टी बन जाता है लेकिन आत्मा का कभी भी कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
12. मुंडकोपनिषद
मुंडकोपनिषद में बताया गया है कि मनुष्य के शरीर में आत्मा का वास किस स्थान पर होता है। मुंडकोपनिषद के अनुसार आत्मा का आकार एक अणु जितना होता है जो पांच तरह की वायु के साथ बहती है, प्राण, आपान, व्यान, समान और उडान, जो हृदय के अंदर स्थित हैं।
13. पांच प्रकार की वायु
हृदय के अंदर रहते हुए यह संपूर्ण मानव शरीर तक अपना प्रभाव पहुंचाती हैं। जब आत्मा को इन पांच प्रकार की वायु के सम्मिश्रण से शुद्ध किया जाता है तब उसके आध्यात्मिक स्वरूप की पहचान होती है।
14. त्रिपुर
हम सो रहे हों, जाग रहे हों, या स्वप्न देख रहे हों, तब प्राण अर्थात जीवन, हृदय, नेत्र और कंठ के बीच विचरण करता है। यह तीनों स्थितियां त्रिपुर के नाम से जानी जाती हैं।
15. रूल ऑफ थंब
अकसर आपने लोगों को रूल ऑफ थंब जैसा मुहावरा कहते सुना होगा, ज्यादातर मामलों में इसका प्रयोग कोर्ट केसेस या नियम के अर्थों में किया जाता है। यहां अंगूठा न्याय का प्रतीक है लेकिन हिन्दू ग्रंथों में भी आत्मा को अंगूठे के समान ही माना है, जिसक आकार करीब 8 इंच कहा गया है।
16. गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण के अनुसार भी आत्मा का आकार अंगूठे से बड़ा नहीं होता। इसके अलावा अन्य ग्रंठों और पुराणों में भी आत्मा की व्याख्या अंगूठे के आकार वाली उस ज्योति के रूप में की गई है जो हमारे शरीर में पुतलियों के बीच वास करती है। ऐसा माना जाता है कि आत्मा हृदय में वास करती है लेकिन इससे जुड़ा साक्ष्य किसी के पास उपलब्ध नहीं है।
17. सिर्फ महसूस की जा सकती है
आत्मा का आकर, उसका स्वरूप, उसकी रचना, सिर्फ एक विचार है, सत्य यही है कि मनुष्य कभी आत्मा को अपनी आंखों से नहीं देख सकता। उसे केवल मानसिक तौर पर महसूस किया जा सकता है।