Search

रक्षाबंधन ( श्रावणी ) – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

रक्षाबंधन ( श्रावणी ) 

श्रावणी पूर्णिमा के दो दिन पहले गोबर के पानी से रसोई, कमरे, दग्वाजें, खिड़की ओर दरवाजों के बगल में छींटा दे दें। फिर पूर्णिमा के पढ़ले दिन गोबर के छींटे के बाद चूने से पोत दें ओर गेरू से माण्ड दें। जिस समय कहानी सुनें तो लड्॒‌डू से जिमा दें और जल का छोींटा देकर रोतली चावल और लडडू के साथ मोली भी लगा दें, सारी जगह के सोन जिमाते हैं। श्रावणी पूर्णिमा को सुबह हनुमान जी ओर पितरों को धोंकते हैं और उनके ऊपर जल, रोली, मोली, चावल, फूल, प्रसाद, नारियल, राखी, दश्षिणा, धूपबत्ती, दीपक जलाकर सभी को धोक देनी चाहिए ओर घर में ठाकुर जी का मन्दिर हो तो उसकी भी पूजा करें। सभी खीर पूरी की रसाई बनाकर पहले तो राखी बांध दें ओर मर्दों के राखी बांध कर नारियल दें ओर आरतों को राखी बाँधने के स्थान पर पलल्‍ले में मेवा बांध दें। भादयों को चाहिए कि वह अपनी बहन से राखी बंधवाकर उन्हें उपहार और रुपये दें। बहनों को चाहिए कि वे अपने भाईयों के हाथ पर राखी बांधकर उन्हें नारियल और मिठाई दें।
Share this article :
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply