भाद्रपद चतुर्थी को चन्द्र दर्शन से लगने वाले कलंक दोष से मुक्त होने का मंत्र
नोट-भाद्रपद मास कमी गणेश-जन्म चतुर्थी के दिन चन्द्रमा का दर्शन करना निषेध किया गया हे। किन्तु अचानक ही चन्द्रमा दिखाई देने पर किसी भी प्रकार का कलंक दोष लगने का भय बना रहता है। इस दोष से मुक्ति-प्राप्ति के लिये ऊपर लिखे मंत्र का 21 बार केवल एक दिन पाठ करने से कलंक दोष नहीं लगता।
ऋषि पंचमी
भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की पंचमी को ऋषि पंचमी मनायी जाती है। इस दिन ऋषि पंचमी का ब्रत करना चाहिए और गंगाजी में स्नान करना चाहिए। यदि गंगा जी में स्नान नहीं कर सकते, तो घर में ही नहा लें। पहले सुबह 108 बार मिट्टी से हाथ धोएँ, गोपी चन्दन, तिल, आँवला, गंगाजल, गऊ का पेशाब इतनी चीजें मिलाकर हाथ और पैर धोएँ। 108 तरह की दातुन करें। 108 बार कुल्ला करें, 108 पत्ते सिर पर रखकर 108 बार घण्टी से नहाएँ। नहाकर नये कपडे पहनें। बाद में गणेश जी की पूजा अर्चना करें। पूजा की सामग्री पंडित से पूछकर मंगवा लें। उसके बाद कथा सुनकर पूजाक रने के बाद केला, घी, चीनी व दक्षिणा रखकर बायना निकालकर हाथ फेरकर किसी भी ब्राह्मण या ब्राह्मणी को बायना दे दें। दिन ‘ एक बार ही भोजन करें। भोजन में दूध, दही, चीनी व अनाज कुछ भी सेवन न करें। हल से जोती हुई चीजें भी नहीं खानी चाहिए। भोजन में केवल फल और मेवा ही ग्रहण करें।