भोग नं. 2
मोहन हमारे घर आये रुच रुच भोग लगाये, जरा न शर्माये कि मालिक हे संसार का……… भिलनी के बेर सुदामा के तंदुल, रुच रुच भोग लगाये. , जरा न शर्माये कि मालिक है संसार का………. मीरा के प्रभु गिरधर नागर चरण कमल चित लाए आकर दर्श दिखाए जरा न शर्माये कि मालिक है संसार का मोहन हमारे…….. दुर्योधन की मेवा त्यागी साग बिदुर घर खाए, जरा ना शरमाये कि मालिक हे संसार का….. आपकी वस्तु आपके आगे इसमें हमारा कुछ नहीं लागे जरा न शरमाये कि मालिक है संसार का……. इस भोग को जो भी खाये भवसागर से पार हो जाए जरा न शर्माये कि मालिक हे संसार का…… मोहन हमारे घर आए