जीवितपुत्रिका व्रत
जो स्त्रियों जीवितपुत्रिका का व्रत करती हैं उनका उद्देश्य पुत्र के जीवन की रक्षा करना यानी दीर्घायु की कामना करना प्रमुख होता है। बच्चों का मरणदोष दूर हो जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। ब्रत रखने के लिये यह आवश्यक है कि स्वयं स्नान करने के पश्चात् भगवान की नारायण की मूर्ति को स्नानादि कराने के पश्चात् उन्हें भोग लगाऐं और अचमन कराकर धूप, दीप से आरती उतारें। भोग को प्रसाद के रूप में सभी जन को वितरित दें।
इस दिन बाजरा ओर चने से बने पदार्थ भोग में लगाये जाते हैं। तथा काटे हुए फल और शाक नहीं खाने चाहिएं और न ही काटें। इस दिन सूर्य नारायण भगवान की पूजा की जाती हे। जिनके पुत्र तो होते हों परन्तु जीवित नहीं रहते, इस व्रत के करने से उनके पुत्र जीवित रहने लगते हैं। इसके साथ ही बच्चों का मरण दोष दूर हो जाता हैं।