स्त्रीजित होना अनर्थकारी है
दैत्यमाता दिति के दोनों पुत्र हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु मारे जा चुके थे। देवराज इन्द्र की प्रेरणा से भगवान् विष्णु ने वाराह एवं नरसिंह अवतार धारण करके उन्हें मारा था। यह स्पष्ट था कि उनका वध देवताओं की रक्षा के लिये हुआ था। इसलिये दैत्य माता का सारा क्रोध इन्द्र पर था। वह पुत्र शोक के कारण इन्द्र से अत्यन्त रुष्ट थी और बराबर सोचती रहती थी कि इन्द्र को कैसे मारा जाय। परंतु उसके पास कोई उपाय नहीं था। उसके पतिदेव महर्षि कश्यप सर्वसमर्थ थे. किंतु अपने पुत्र देवताओं पर महर्षि का अधिक स्नेह था। वे भला, इन्द्र का अनिष्ट क्यों करने लगे।