श्रम की महत्ता
मेरे बच्चो ! मेरे पास जो कुछ भी तुम्हें देने के लिये है उसे मैं तुम दोनों को बराबर-बराबर देता हूँ। मेरी सारी सम्पत्ति इन खेतो में ही है इनमें पर्याप्त अन्न पैदाकर तुम लोग अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकते हो। साथ ही साथ यह भी स्मरण रखना चाहिये कि इन्हीं खेतों में मैंने अपनी पूँजी भी छिपाकर रख दी है। आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग कर सकते हो। किसान ने मृत्यु-शय्या पर अन्तिम साँस ली ।
पिता के मरते ही दोनों लड़कों ने खेतों में छिपाकर गाडी गयी पूँजी पर विचार किया। उन्होंने खेत खोद डाले। एक इंच भी ज़मीन खोदने से
कही खाली नहीं रह गयी । उन्हें बडा विस्मय हुआ कि पिता जी ने जीवन में कभी भूलकर भी असत्य भाषण नहीं किया और मरते समय तो किसी भी स्थिति में झूठ बोल ही नहीं सकते थे । खेत में गडा धन न मिलने पर उन्हें कुछ भी क्षोभ नहीं हुआ उन्होंने संतोषपूर्वक बीज बो दिये और फसल पकने पर खेत में अकूत अन्न हुआ । उतना अन्न गाँव मेँ किसी व्यक्ति के भी खेत मे नहीं पैदा हुआ था। हम लोगों ने पिताजी के कहने का आशय ही नहीं समझा था। उन्होंने चलते समय खेत को अच्छी तरह कमाने की सत्-शिक्षा दी थी और उन्हीं के आशीर्वाद से हम लोगों ने इतना अन्न प्राप्त किया। दोनों लड़कों ने स्वर्गीय आत्मा के प्रति श्रद्धाजलि प्रकट की। समुन्नति का मार्ग श्रम है किसान के लड़कों ने इसे अपने जीवन मेँ चरितार्थ किया।