Home Satkatha Ank ग्रीजेल ने अपने पिता की फाँसी से केसे बचाया-How did Griegel save his father from the gallows?

ग्रीजेल ने अपने पिता की फाँसी से केसे बचाया-How did Griegel save his father from the gallows?

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Grijail ne apne pita ko fassi se kase bachaya
ग्रीजेल ने अपने पिता को फाँसी से केसे बचाया. 
ब्रिटेन में तब जेम्स द्वितीय का शासन था । वह अपने अत्याचार एव अन्याय के लिये काफी बदनाम रहा है। उसके समय मे जिसे फाँसी की सजा सुनायी जाती थी उससे उसके परिवार के किसी व्यक्ति को  नहीं मिलने दिया जाता था। कॉकरेल  को  फाँसी की सजा सुनायी गयी थी । ग्रीजेल उसी की लड़की थी । उसने लड़के का रूप धारण कर जेल-अधिकारियों की आँखों मेँ धूल झोंक अपने पिता से मुलाकात की और उससे पता लगाया कि उसके बचने का एकमात्र उपाय जेम्स का क्षमा-दानं है ।
Carved and Painted Man Hanging from a Gallows | Hanging, Carving ...
How did Griegel save his father from the gallows?
पर जब तक कोई लंदन जाकर महाराज जेम्स से मिलकर क्षमा-पत्र ले आये तब तक तो कॉंकरेल को फाँसी ही हो जाती। फिर भी ग्रीजेल ने धैर्य नहीं छोडा, उसने अपने भाईं को प्रार्थना-पत्र देकर लंदन विदा किया। उन दिनों फोन-तार तो क्या, रेलगाडियाँ भी न थीं । उधर उसका भाई लौटा भी नहीं, इधर फाँसी का दिन एकदम निकट आ गया । अब उसके पिता की फाँसी रोकी केसे जाय। ग्रीजेल ने निश्च्य किया कि डाकिये के हाथ से फाँसी का फरमान लेकर फाड़ दिया जाय।

नियत दिन आ पहुँचा । ग्रीजेल ने अपना वेष पुरुष का बनाया और वह डाकिये के मार्ग में खडी हो गयी । वह घोड़े पर सवार थी और हाथ मे एक भरी पिस्तील भी लिये थी। डाकिया आया। ग्रीजेल ने डपटकर उसे रोका और सारी डाक माँगी। डाकिये के हाथ में भी पिस्तौल थी। उसने उसे ग्रीजेल पर चला दिया । एक-एक कर उसने धायँ-धायँ कईं गोलियाँ दाग दीं। ग्रीजेल सामने खडी हँस रही थी। गोली से उसको कुछ न हुआ।

अब डाकिया डर गया। ग्रीजेल ने उसके हाथ से डाक का थैला छीन लिया। थोडी दूर जाकर उसने थैला खोला और पिता की फाँसी का फरमान निकालकर थैले को वहीं फेंक दिया। डाकिया यह सब देख रहा था। उसने ग्रीजेल के चले जाने पर थैला उठा लिया और चलता बना।
फरमान न मिलने से कॉंकरेल को फाँसी न हो सकी और अवधि आगे बढ गयी। इधर जेम्स उसके भाईं की करुण प्रार्थना पर पिघल गये और वह उनसे क्षमा दान का पत्र लेकर पहुँच गया। इस प्रकार ग्रीजेल ने अपार धैर्य, बुद्धिकौशल तथा साहस्र के सहारे अपने पिता की जान बचा ली । …जा० श०

***

(डाकिया रात को जहां सराय मे विश्राम करता था, ग्रीजेल पहले वहीं पहुँची और थैले से फरमान निकालने के प्रयत्न मे लगी थी डाकिया का थैला वही रखा था, पर उसके अगल बगल मे कईं और व्यक्ति सोये थे। उसने जब देखा कि वहा उसका प्रयास सफल न होगा तो उसने बगल मे पडी डाकिये की  पिस्तौल मे से सारी गोलिया निकालकर उसके स्थान पर झूठी गोलियां भर दीं और वैसे ही रखकर दूसरे दिन रास्ते में फरमान लेने को खडी हो गयी थी। डाकिये को इसका कोई पता तो था नहीं। इस लिये झूठी गोलियां दागकर   वह मुँह ताकता रह गया)

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