गूंगा नवमी
जन्माष्टमी के दूसरे दिन सुबह गूंगा नवमी की पूजा की जाती है। इस दिन एक मोटी-सी मीठी रोटी बनाकर उस पर घी-बूरा रखकर साथ में एक कटोरी में चावल वाली खीर रखते हैं और रसोई की दीवार पर गुंगा नवमी बनाकर उसके सामने जोत जगाकर, थाली में रोटी-घी-बूरा, खीर सस्लैप पर रखकर, गूंगाजी महाराज को रोली से टीका लगाते हैं ओर अपने माथे पर भी हल्दी से टीका लगाते हैं। हाथ में गेहूं लेकर धोक देते हैं। और मन ही मन कहते हैं कि-हे गूंगा महाराज! घर में सब ठीक-ठाक रहे। सभी पर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखना। बाद में सारा पूजा किया हुआ सारा सामान कुम्हार या जोगी के यहां भिजवा देते हैं और लोटे का पानी गमले में डाल देते हैं फिर सभी परिवार जन वही खाना खाते हैं।