ईश्वर बड़ा मुर्ख है
एक शेख जी को खेत में एक तरबूज दिखाई दिया। शेख जी उस तरबूज को खाने लगे। तरबूज खाकर वे जब खेत से निकले तो मेंड़ के काँटे उनके पाँवों में चुभ गये।
शेख जी बोले – कि यह सख़ुदा वास्तव में बड़ा मुर्ख है । जहां उसने इतने मीठे फल लगाये वहाँ इन कांटो की क्या आवश्यकता थी?
इतने में उस खेत के किसान के कानों में आवाज पड़ी तो वह अपने बेटे से बोला – कि अरे भाई, आज उधर के कॉँटे हट गये हैं। एक बैल आकर काफी पेड़ साफ कर रहा है।
अब शेखजी की समझ में आ गया कि भगवान ने गलत नहीं किया है।
आगे जब शेख जी एक आम के बाग में पहुँचे तो ईश्वर की बेवकूफी पर उन्हें बड़ा क्रोध आया और शेखजी सोचने लगे कि देखो जरा-जरा सी बेलों में तीस-तीस सेर के तरबूज लगा दिये और इतने बड़े पेड़ पर छटांक-छटांक भर के आम लगा दिये। खुदा भी कया बेवकूफ है?
शेख जी आम खाकर आराम से पेड़ के नीचे साफ़ी बिछाकर आराम करने लगे। थोड़ी देर में पेड़ से टूटकर एक आम शेख जी की नाक पर गिर पड़ा । शेखजी नाक पकड़ कर बहुत देर तक बैठे रहे। शेखजी की अब समझ में आ गया कि यदि कहीं सेर वजन का फल इसके ऊपर लगा होता तो आज मेरा तो कचूमर निकल जाता।