गंगा भजन
मेरा कर दो बेड़ा पार गंगे महारानी तुम कर दो बेडा पार गंगे महारानी।
1. पत्थर फोड़ गऊ मुख निकली। कोई शिव की जा में समाय गगे महारनी। मेरा कर दो बेड़ा गंगे महारानी ….
2, एक धार आकाश को गयी है दूजी गयी पाताल गंगे महारानी
3, इधर से गंगा उधर से यमुना संगम हुआ अपार गंगे महारानी।
4. नहाये धोये से सब पाप केंटेगे कोई पीने से उद्धार गंगे महारनी।
5, पान चढ़े तो पे फूल चढ़े तो पे चढ़े दूध को धार गंगे महागनी।
6. ध्वजा नारियल पान सुपारी कोई तेरी भेंट-चढ़ाये गंगे महारानी।
7. साधु संत तेरी करे आरती हो रही जय-जयकार गंगे महारनी।
8 दूर-दूर से आये यात्री कोई चरणों में शीश नवायें गंगे महारनी।