गणेश चतुर्थी
भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी गणेश चतुर्थी के नाम से प्रमिद्ध है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके, सोना, तांबा, चांदी, मिट्टी या गोबर के गणेश की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय इक्कीस व्यंजनों का भोग लगाना चाहिए। ओर हरित दूर्वा के इक्कीस अंकुर लेकर निम्न दस नामों पर चढाते हैं
1. गतापि, 2. गोरी सुमन, 3. अघनाशक, 4. एकदन्त, 5. ईशपुत्र, 6. सर्वसिद्धिप्रद, 7. विनायक, 8. कुमार गुरु, 9. इभवक्राय और 10. मूषक वाहन संत। इसके पश्चात् इक्कौस लड्डुओं में से दस लड्डू ब्राह्मणों को दान देना चाहिए और ग्यारह लड्डू स्वंय ही सेवन करने चाहिए।