एक महात्मा वृन्दावन के पास वन में बैठे थे। उनके मन में आया कि सारी उम्र ऐसे ही बीत गयी। न भगवान के दर्शन हुए, न उनके किसी सखा के ही हुए। इसी समय काली घटा छा गयी और बड़े जोर से पानी बरसने लगा । किंतु वे महात्मा वहाँ से उठे नहीं। दो घंटे तक लगातार मूसलधार पानी बरसता रहा, अब उनको ठंड लगने लगी।
पहले ललिता जी के दर्शन कीजिये First see lalita ji.
पहले ललिता जी के दर्शन कीजिये
इसी समय उनको दिखायी दिया कि साड़ी पहने एक छोटी-सी सुकुमार लड़की पानी पर छप-छप करती आ रही है।लड़की-महाराज! आप यहाँ क्यों बैठे हैं। ‘महात्मा-‘ ऐसे ही। लड़की-‘क्या आपको अभी किसी के दर्शन नहीं हुए। ‘महात्मा को उसकी बात सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। कि यह लड़की कौन है और कैसे मेरे मन की बात जान गयी।
वे उसकी ओर देखने लगे, कुछ बोले नहीं, तब लड़की ने कहा-‘अच्छा, अब आप पहले ललिता जी के दर्शन करिये।’ इतना कहकर वह तुरंत अदृश्य हो गयी महात्मा जी बड़े प्रसन्न हुए। एक बार उनके चेचक निकल आयी। उस समय वे वृन्दावन से दो सौ मील दूर थे। उनके बहुत प्रार्थना करने पर एक सज्जन टैक्सी करके उनको वृन्दावन ले आये। ज्यों ही उनसे कहा गया कि वृन्दावन आ गया,उनको भगवान के दर्शन हो गये और वे इस शरीर को छोड़कर चले गये।-कु० रा०