माँ की शिक्षा का प्रभाव
एक विद्यार्थी अपनी पाठशाला में से अपने एक सहपाठी की पुस्तक चुराकर ले आया तथा उसे अपनी माँ को दे दी। माँ बोली -बेटा! तुमने बड़ा अच्छा किया। इस तरह से उस बच्चे को चोरी करने की आदत पड़ गई।
कुछ बड़ा होने पर उसने पढ़ना-लिखना छोड़ दिया और पूरा डकैत बन गया। एक दिन वह डाका डालने गया और डकैती में पकड़ा गया। उसे फांसी की सजा सुनाई गई। जब उसे फांसी दी जाने लगी तो उससे उसकी अन्तिम ख्वाइश पूछी गई ।
वह बोला मुझे कुछ अपनी माता से कहना है। जैसे ही माँ ने बात सुनने को कान बढ़ाया, वैसे ही लड़के ने अपनी माँ का कान काट लिया। वहाँ पर उपस्थित लोग उसे धिककारने लगे तो तुरन्त लड़का बोला कि जब में पहली बार किताब की चोरी करके लाया था तो इसने मुझे डॉटने के बजाये मुझे प्रोत्साहित किया था। तब यदि मुझे यह डाँट देती तो शायद आज मुझे फाँसी का फन्दा न देखना पड़ता।