स्वेच्छाचारी न बनो
गृहस्थ ने कहा – बहुत अच्छा बन जायेगी। थोड़ी देर बाद साधु बोला – अब खीर नहीं खानी है। गृहस्थ ने पूछा – क्या बात है? साधु बोला – इच्छा हुई है, वह में खाऊँगा। गृहस्थ ने पूछा – ऐसा करने का क्या कारण है? साधु ने उत्तर दिया – इच्छा की आधीनता जीवात्मा की अधोगति का स्थान माना जाता है।