धर्म करने से धन बढ़ता है
एक सेठ के यहाँ पुत्र का जन्म हुआ। सेठ ने ज्योतिषी को बुलाकर बच्चे की जन्म पत्री बनवायी। सेठ ने ज्योतिषी से बालक के जीवन में घटित होने वाली घटनाओं के सम्बन्ध 5 में पूछा। ज्योतिषी ने गणित लगाकर बताया – यह बालक तीस वर्ष की आयु में आपकी समस्त सम्पत्ति नष्ट कर देगा। इसके भाग्य में केवल एक गाय रह जायेगी। वृद्धावस्था के ग्रह अच्छे हैं परन्तु ठीक से कुछ नहीं कहा जा सकता। ज्योतिषी की ये बातें सेठजी का पड़ौंसी भी सुन रहा था।
उसने ज्योतिषी की बातें अपने जेहन में बैठा लीं । बालक के सयाना होने पर उसके माँ-बाप स्वर्ग सिधार गये। तीस वर्ष की अवस्था होने पर उसकी सम्पत्ति भी नष्ट हो गई। उसके पास सम्पत्ति के रूप में केवल एक गाय शेष रह गई थी। दा क् े एक दिन सेठ का पड़ौसी उसके पास आकर बोला – तुम यह गाय इस ब्राह्माण को दान कर दो क्योंकि इसका परिवार भूखों मर रहा है।
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उसने गाय दान कर दी | दूसरे दिन कोई एक गाय उसके द्वार पर खाँध गया। अब उस पड़ौसी ने सलाह दी – इस गाय को बेचकर उस धन को अन्न क्षेत्र में लगा दो |
लड़के ने पड़ौसी के कथन के अनुसार कार्य किया। तीसरे दिन उसके द्वार पर कोई एक सुन्दर गाय बाँध गया। इस तरह उसे प्रतिदिन अच्छीअच्छी गाय मिलती रही और वह उनको बेच-बेच कर धर्मार्थ कार्य में खर्च करता रहा।
वृद्धावस्था आने पर वह एक परोपकारी व्यक्ति की तरह जीवन यापन करने लगा। वह कुट॒ुम्ब सहित सुखी जीवन व्यतीत करने लगा। भले कार्य को फल भी भला होता है।