भक्त की रक्षा
एक भक्त ब्राह्मण दम्पति थे। उनके मन में सदा यह इच्छा बनी रहती थी कि ‘हम कहाँ जायँ जिससे हमें भगवान् के दर्शन हो जायँ। अन्त में उन्होंने वृन्दावन जाने का निश्चय किया और वे चल पड़े। गोवर्द्धन के पास रात हो गयी।
वे वहाँ ठहरने का विचार करके पास की एक बस्ती में चले गये। उसी समय स्त्री को दिखायी पड़ा कि गोवर्द्धन पर्वत पर श्रीकृष्ण और श्रीराधा बैठे हैं और यहाँ ठहरने को मना कर रहे हैं।
स्त्री अपने पति के साथ वहाँ से चली गयी। वास्तव में वह डोमों की बस्ती थी। डोमों ने यह सोचा था कि इनको मारकर इनका धन ले लेंगे। वहाँ से जाने पर उनको स्वप्न हुआ कि वह डोमों की बस्ती थी। उनका विचार तुम लोगों को मारने का था। इसलिये हमने तुमको मना किया था। भगवान् सब की रक्षा करते ही हैं।