सम्मान तथा मधुर भाषण से राक्षस भी वशीभूत
एक बार एक बुद्धिमान् ब्राह्मण एक निर्जन वन में घूम रहा था। उसी समय एक राक्षस ने उसे खाने की इच्छा से पकड़ लिया। ब्राह्मण बुद्धिमान् तो था ही, विद्वान भी था इसलिये वह न घबराया और न दुः:खी ही हुआ। उसने उसके प्रति सम्मान का प्रयोग आरम्भ किया।
इस प्रकार सम्मान किये जाने पर राक्षस ने उसे मित्र बना लिया और बड़ा धन देकर विदा किया।