महापुरुषों के अपमान से पतन
वृत्रासुर का वध करने पर देवराज इन्द्र को ब्रह्महत्या लगी। इस पाप के भय से वे जाकर एक सरोवर में छिप गये। देवताओं को जब ढूँढ़ने पर भी देवराज का पता नहीं लगा, तब वे बड़े चिन्तित हुए। स्वर्ग का राज्य सिंहासन सूना रहे तो त्रिलोकी में सुव्यवस्था कैसे रह सकती है। अन्त में देवताओं ने देवगुरु बृहस्पति की सलाह से राजा नहुष को इन्द्र के सिंहासन पर तब तक के लिये बैठाया, जब तक इन्द्र का पता न लग जाय।