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अंधेर नगरी बेवकूफ राजा

अंधेर नगरी बेवकूफ राजा 

एक बार एक राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा कि हमारी गाय और घोड़ी दोनों को क्या बच्चे होंगे? ज्योतिषी ने हिसाब लगाकर बताया कि गाय के बछड़ा होगा और घोड़ी को बछेड़ा होगा। 
जब दोनों जानवरों ने बच्चे दिये तो राजा के नौकरों ने गाय का बछड़ा घोड़ी के पास खड़ा कर दिया और घोड़ी का बच्चा गाय के पास खड़ा कर दिया। राजा ने जब देखा कि गाय के बछेड़ा हुआ है और घोड़ी के बछड़ा हुआ है तो राजा बोला – यह तो बिल्कुल विपरीत हुआ है तो वह बोला – ज्योतिषी ने झूठ कहा था। राजा ने ज्योतिषी को बुलाकर कैद में डाल दिया। 
यह बात राजा के धोबी को पता चली तो जब राजा के कपड़े धोबी के यहां गये तो धोबी उन्हें लौटाने नहीं आया। राजा ने धोबी को बुलाकर पूछा, कपड़े कहां हैं? धोबी बोला – स्वामी! जब मैं नदी पर कपड़े धो रहा था तब नदी के जल में आग लग जाने से सब कपड़े जल गये। राजा ने कहा – भला कहीं नदी में भी आग लगती है। 
धोबी ने उत्तर दिया कि जब गाय घोड़ी का बछेड़ा और घोड़ी गाय का बच्चा दे सकती है तो नदी में भी आग लग सकती है। लज्जित होकर राजा ने ज्योतिषी को मुक्त कर दिया। 
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