सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मनिष्ठ
एक बार महाराज जनक ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किए उसमें उन्होंने एक बार एक सहस्र सोने से मढ़े हुए सींगोवाली बढ़िया दुधारी गौओं की ओर संकेत करके कहा – पूज्य ब्राह्मणो। आप में जो ब्रह्मनिष्ठ हों, वे इन गौओं को ले जायें। इस पर जब किसी का साहस न हुआ, तब याज्ञवल्क्य ने अपने ब्रह्मचारी से कहा-सोमश्राव।