Home Satkatha Ank सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मनिष्ठ-Best Devout

सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मनिष्ठ-Best Devout

1 second read
0
0
101
Sarvsresth Bhramnisth

सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मनिष्ठ

एक बार महाराज जनक ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किए उसमें उन्होंने एक बार एक सहस्र सोने से मढ़े हुए सींगोवाली बढ़िया दुधारी गौओं की ओर संकेत करके कहा – पूज्य ब्राह्मणो। आप में जो ब्रह्मनिष्ठ हों, वे इन गौओं को ले जायें। इस पर जब किसी का साहस न हुआ, तब याज्ञवल्क्य ने अपने ब्रह्मचारी से कहा-सोमश्राव।

तू इन्हें ले जा।! अब तो सब ब्राह्मण बिगड़ पड़े। उन्होंने कहा कि “क्या हम सब में तुम्हीं उत्कृष्ट ब्रह्मनिष्ठ हो। याज्ञवल्क्य ने कहा कि ब्रह्मनिष्ठ को तो हम नम्म्कार करते हैं; हमें तो गायें चाहिये, इसलिये हमने इन्हे ले लिया है।
सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मनिष्ठ-Best Devout
अब विवाद छिड़ गया। ब्रह्मनिष्ठाभिमानी अश्वल, ऋतभ, आर्तभाग, भुज्यु, उषस्त, कहोल, उद्दालक तथा गार्गी  आदि ने कई प्रश्न किये। पर याज्ञवल्क् ने सभी का संतोषजनक उत्तर दे दिया। अन्त में वाचक्रवी गार्गी ने कहा पुजनीय ब्रह्मणगण। अब मैं इनसे दो प्रश्न करती हूँ। यदि ये मेरे उन प्रश्नों का उत्तर दे देंगे तो समझ  लीजिये कि  इन्हे कोई भी न जीत सकेगा।
ब्राह्मणों ने कहा गार्गी , पूछ ! गार्गी ने  याज्ञवल्क्य से प्रश्न किया – हे याज्ञवल्क्य। जो ब्रह्माण्ड से ऊपर है, जो ब्रह्माण्ड से नीचे है, जो इस स्वर्ग और पृथ्वी के बीच में स्थित है तथा जो भूत, वर्तमान और भविष्यरूप है, वह सूत्रात्मा विश्व किसमें ओततप्रोत है?
याज्ञवल्क्य ने कहा – गार्गि! यह जगदरूप व्यावृत सूत्र अन्तर्यामीरूप आकाश में ओतप्रोत है।
गार्गी ने कहा – इस उत्तर के लिये तुम्हें प्रणाम!
अब इस दूसरे प्रश्न का उत्तर दो कि जगदरूप सूत्रात्मा जिस आकाश में ओतप्रोत है, वह आकाश किसमें ओतप्रोत है?’
याज्ञवल्क्य ने कहा – वह अव्याकृत आकाश अविनाशी अक्षर ब्रह्म में ही ओतप्रोत है। यह अक्षर ब्रह्म देशकाल-वस्तु आदि के परिच्छेद से रहित सर्वव्यापी अपरिच्छिन्न है। इसी की आज्ञा में सूर्य और चन्द्रमा नियमित रूप से बर्तते हैं।
जो इसे जाने बिना ही मर जाता है, वह दया का पात्र है; और जो इसे जानकर मरण को प्राप्त होता है, – वह ब्रह्मविद्‌ हो जाता है। महर्षि के इस व्याख्यान को सुनकर गार्गी संतुष्ट हो गयी और उसने ब्राह्मणों से कहा – याज्ञवल्क्य नमस्कार के योग्य हैं। ब्रह्म सम्बन्धी विवाद में इन्हें कोई भी नहीं हरा सकता।’ याज्ञवल्क्य के ज्ञान तथा तेज को देखकर सारी सभा चकित रह गयी।
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Satkatha Ank

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…