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बड़ी दीवाली – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

बड़ी दीवाली

पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि लक्ष्मी जी का पूजन भगवान नागयण ने बैकुंठ में सबसे पहले किया, वैसे यह त्यौहार त्रयादेशी, धन तेरस मे शुरू होकर द्वितीय, भैया दूज तक चलता है। इस दिन लक्ष्मीजी के साथ श्रीगणेश के पूजन की परंपरा है। लक्ष्मीजी बनाने के दिन सुबह दीवार को चूने से पोत लें और यदि किसी के कई रंग की बनती हो तो रंग से बना लें नहीं तो गेरु से गणेश जी बना लें। 
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हनुमानजी तथा पित्तरों की धोक मारते जायें और अगर आपके कोई देवता मानते हों तो उसकी भी पूजा करें। सब लोग साथ में जल, मोली, रोली, चावल, अबीर, गुलाल, फूल, नारियल, निकाली हुई मिठाई, दक्षिणा, धूप बत्ती, दियासलाई यह सब सामान साथ लें जायें। पितरों की और हनुमान जी की धोंक मारने के बाद घर में ठाकुर जी के मन्दिर में, पैण्डे पर धोक मारें, और किसी को पैसे न दें। गणेश जी लक्ष्मीजी की मिट्टी की मूर्ति बाजार से लायें जिसको लाकर रात को घर में पूजा करें। हलवे पूरी की रसोई बनाएं। 
बाद में सब तरह की सामग्री और ग्यारह पूड़ी एक थाली में सब पितरों की पूड़ी निकाल दें और वह ब्राह्मण को दे दें। एक ब्राह्मण भी जिमा दें। बाद में आप जीम लें।
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