अद्भुत उदारता
गाल के सुप्रसिद्ध ब्रह्म समाजी सत्पुरुष अघोरनाथजी के पिता श्रीयादवचन्द्र राय फारसी तथा संस्कृत भाषा के उच्च कोटि के विद्वान् थे, ईश्वरभक्त थे और अत्यन्त दयालु थे। वे बहुत ही त्यागी तथा परिग्रह रहित व्यक्ति थे। एक रात्रि उनके घर में चोर घुसे।
चोरों ने घर का एक-एक कोना छान मारा; किंतु ले जाने योग्य कोई वस्तु उन्हें मिली नहीं। श्रीयादवचन्द्र जी जाग रहे थे। चोरों की गति-विधि देख रहे थे। वे धीरे से उठे और चिलम में तम्बाकू भरकर हुक्का लिये चोरों के सामने आ खड़े हुए।
नम्रता पूर्वक बोले-भाइयो! आप लोगों ने परिश्रम बहुत किया किंतु लाभ कुछ नहीं हुआ। अब कृपा करके तम्बाकू तो पीते जाइये। बेचारे चोर तो लज्जा और ग्लानि के मारे श्रीयादवचन्द्र जी के पैरों पर ही गिर पड़े।