71

0 second read
0
0
47
भजन गजल-६६
देखिए कैसा अविद्या ने अजब धोखा दिया
झूठ को सब दुःख को,
सुख विपरीत बोध करा दिया।
जिसका निर्गुन निराकार,
निरीह करता है श्रति ।
उस अमरत दिव्य सूरत को,
शास्त्र शहस्त्र
भी जड़ बनवा दिया।
कहते हैं,
सभी के आत्मा है ज्ञानवान ।

ना।
क।
री।

Load More Related Articles
Load More By amitgupta
  • राग बिलाप-२७अब मैं भूली गुरु तोहार बतिया,डगर बताब मोहि दीजै न हो। टेकमानुष तन का पाय के रे…
  • राग परजा-२५अब हम वह तो कुल उजियारी। टेकपांच पुत्र तो उदू के खाये, ननद खाइ गई चारी।पास परोस…
  • शब्द-२६ जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेकसाधु संगति कबहु के कीन्हा,दया धरम कबहू न कीन्हा,करजा काढ…
Load More In Uncategorized

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…