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चाहे कमल नयन को,
दम
हर
केशर तिलक माला मोतियन की,
वृन्दावन
जेहि तन लागे वोहि तन जाने,
लोगन के
नेह लगाए त्याग दई तृष्णा सम,
उदासी।
वासी ।
हांसी ।
फांसी ।
मैं जैहों करअट काशी।
डाल गए
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
रहे
की
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