Home Uncategorized कबीर भजन १४०

कबीर भजन १४०

6 second read
0
0
43

कबीर  भजन १४०

संतो। बोले जग मारे। 
अनबोले कैसे बनि बिरहै। 
शब्दाहि कोई न विचारे । 
पहले जन्म पूत भयऊ।
बाप जन्म लिया पाछे। 
बाप पूत के एक महंतारी,
अचरज को काछे। 
ऊपर राजा टीका बैठी..
बिगहर करे खाबोरि।
ज्ञान बपुरा वरनि ठाकुर,
बिल्ली घर में दासी। 
कागज कार कारकुण्ठ आगे,
बैल करे पटवारी। 
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
भसहीं न्याय तिवारी। 
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
  • राग बिलाप-२७अब मैं भूली गुरु तोहार बतिया,डगर बताब मोहि दीजै न हो। टेकमानुष तन का पाय के रे…
  • राग परजा-२५अब हम वह तो कुल उजियारी। टेकपांच पुत्र तो उदू के खाये, ननद खाइ गई चारी।पास परोस…
  • शब्द-२६ जो लिखवे अधम को ज्ञान। टेकसाधु संगति कबहु के कीन्हा,दया धरम कबहू न कीन्हा,करजा काढ…
Load More In Uncategorized

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…