कबीर भजन १३०
भजु मन जीवन नाम सवेरा टेक
सुन्दर देह देख निज भूलो,
सुन्दर देह देख निज भूलो,
झपट लेतया देही का गर्व न कीजै,
उड़ी पक्षी जस लेत बसेरा।
दुखखा मानुष जन्म न पैहो फेरा
यह नगरी में रह न पायो कोई,
जाय न कहै कबीर सुनो भाई साधो,
यह नगरी में रह न पायो कोई,
जाय न कहै कबीर सुनो भाई साधो,