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कबीर भजन उपदेश-१०१

कबीर भजन उपदेश-१०१
तेरी बिगड़ी बात बन जाई हरि नाम जपा कर भाई। टेक
स्या ही गई सफेदी आई अब कब करेगा भाई
राम नाम के बड़े आलसी तुम्हारी नति बौराई
दुनियां दौलत माल खजाना बधिया बैल आई
हम जानि माया सग चलेगी यहां की रह जाई
भाई बन्धु कुटुम्ब कबीला काम न कोई आई
हम जानो काया संग चलेगी, हंस अकेला जाई
पाई पढ़ावत गनिका तारी रहि गई मीराबाई।
कहै कबीर कोऊ बुरा न मानो 
तरि गई सदन कसाई।
तेरी बिगड़ी बात बन जाई हरि नाम जपा कर भाई।
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