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भगवान् का भरोसा – Trust on god

भगवान् का भरोसा
पहले समय की बात हैं । एक धनी नव युवक राजपथ पर टहल रहा था । उसने रोने और सिसकने की आवाज सुनो और वह एक घरक सामने ठहर गया । पिताजी ! हम लोगों क्रो कब तक इस तरह भूखों मरना होगा । चलिये न, बाजार में भीख माँगकर हम लोग जीबन का निर्वाह कों । ‘ लड़र्का नै सिसकी भरकर कहा । बेटी ! यह सच है कि हम लोगों का सारा धन चला गया । हमारे यास एक पैसा भी नहीं रह गया है ।
दरिद्रता के रूप में हमारे घर पर भगवान्कौ कृषा का अवतरण हुआ है । भगवान्पर भरोसा रखना चाहिये वे हमारी आवश्यकताएँ पूरी कोंगे ।’ पिता ने अपनी तीनों लडकियों क्रो समझाया।
बाहर खिड़की के पास खडा होकर धनी नवयुवक उनको बातें सुन रहा था । वह घर गया । उसके खजाने में सोने के तीन बड़े-बड़े छड़ थे । रात को उसने एक छड़ खिड़की के रास्ते से गरीब आदमी के घर में छोड दिया । पिता और लड़किर्यो ने भगवान्क्रो धन्यवाद दिया कि उनकी प्रार्थनाएँ सुन लो गयीं । दूसरे दिन रात को उसने दूसरा छड़ छोड दिया । तीसरी रात को तीसरा छड़ फेंकने चाला ही था कि उस असहाय और गरीब व्यक्ति ने देख लिया । वह नवयुबक के चरण पर गिर पड़ा इस अयाचित सहायता के लिये ।
‘भाई! तुम यह क्या कर रहे हो? तुम्हें तीन छड़ भगवान्र्का कृपासे ही मिले हैं । भगवान्को ही धन्यवाद देना चाहिये । यदि मुझे तुम्हारे घर त्तक उन्होंने परसों रात को न भेजा होता तो मैं इन्हें किस तरह प्रदान करता । ‘ (संत) निकोलस ने गरीब आदमी का प्रेमालिङ्गन किया । निकोलस के श्रेष्ठ दान से भगवान्में उनका विश्वास  उत्तरोत्तर दृढ़ होता गया
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