उत्तम दान की महत्ता
त्याग में है, न कि संख्या में
महाराज युधिष्ठिर कौरवों को युद्ध में पराजित करके समस्त भूमण्डल के एकच्छत्र सम्राट् हो गये थे। उन्होंने लगातार तीन अश्वमेध-यज्ञ किये। उन्होंने इतना दान किया कि उनकी दानशीलता की ख्याति देश-देशान्तर में फैल गयी। पाण्डवों के भी मन में यह भाव आ गया कि उनका दान सर्वश्रेष्ठ एवं अतुलनीय है।