सूरज
भजो सूरज देव कला धारी थारी सहस्रभुजा प्रभु न्यारी-न्यारी किसयो के घर जन्म लिया है तो किसयों के तुम अधिकारी मधुर में मैंने जन्म लिया है हो गोकुल के हम अधिकारी। उठो उठो मात यशोदा खोलो ना किवाड़ तो बाहर खड़े हैं तुम्हारे बनवारी। उठो-उठो मात यशोदा आँगन बुहारो तो बैठन आए तुम्हारे कूडाहारी। उठो-उठो मात यशोदा दही बिलोओ तो बाहर खड़े हैं तुम्हारे छाछिहारी। उठो-उठो गधा रुकमण सेज बिछाओ तो शयन करेंगे तुम्हारे गिरधारी। ब्रह्मजी के पुत्र ब्रह्मचारी। भजो सूरज देव … कला धारी तुम्हारी सहज किरण न्यारी न्यारी।