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उत्पन्ना एकादशी की कहानी – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

उत्पन्ना एकादशी की कहानी 

सत्ययुग में एक बार मुर नामक दैत्य ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इन्द्र को अपदस्थ कर दिया। देवता भगवान शंकर की शरण में पहुंचे। भगवान शंकर ने देवताओं को विष्णुजी के पास भेज दिया। विष्णुजी ने दानवों को तो परास्त कर दिया परंतु मुर भाग गया। विष्णु ने मुर को भागता देखकर लड़ना छोड दिया और बद्रिकाश्रम की गुफा में आराम करने लगे। मुर ने वहां पहुंचकर विष्णुजी को मारना चाहा। तत्काल विष्णुजी के शरीर से एक कन्या को आशीर्वाद दिया कि तुम संसार में माया जाल में उलझे तथा मोह के कारण मुझसे विमुख प्राणियों को मुझ तक लाने में सक्षम होओगे। तुम्हारी आराधना करने वाले प्राणी आजीवन सुखी रहहेंगे। ऐसी है जिसका माहात्य अपूर्व है। 

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