Home Hindu Fastivals आठों वार की कथा – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

आठों वार की कथा – हिन्दुओ के व्रत और त्योहार

18 second read
0
0
108

आठों वार की कथा

एक माँ और बेटा थे। माँ गंगा स्नान को जाते समय बहू से कह गई कि मेरे बेटे को सुबह रोटी दे दियो। उसने कहा अच्छा दे दूंगी। सुबह बेटा बोला-माँ-माँ रोटी दो। बहू बोली न तो तुम्हारी माँ है, ओर न ही रोटी। कमा कर लाओगे तभी रोटी मिलेगी! वह बोला-भगवान! में तो कमाना नहीं जानता। लेकिन बहू ने नहीं मानी। उसने कहा-अच्छा तो चार रोटी आम का अचार दे दो। बहू ने बनाकर दे दी। वह रोटी लेकर कुंए की पाल पर जाकर बैठ गया, और कहने लगा-राम कमानो ना जानूँ। भगवान ब्राह्मण का वेष बनाकर आये, बोले-तुम ऐसे उदास क्‍यों बैठे हो। वह बोला-मेरी पत्नी ने कहा है कि कमाकर लाओगे तभी रोटी मिलेगी। पर मैं कमाना नहीं जानता। 
images%20(26)
ब्राह्मण (भगवान) बोले-भैया! कमाना तो मैं भी नहीं जानता। परन्तु, मैं आठों वारो के नाम जानता हूँ। जिससे तेरे अटूट भंडार भर जायेंगे। चावल के दाने पानी की घंटी ले लो। ढके बर्तन को उघाड़ो। ऑंधो को सीधा करो। ब्राह्मण ने कही उसने सुनी इतवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार शनिवार आठों वारों का आसरा भरियों पीहर सासरा अटूट भंडार होते चले गये। घर पहुंचा तो बीवी बोली-क्या लाए? उसने कहा-आठों वारों का नाम लाया हूँ। बीबी ने सोचा-चलो कुछ तो लाया है। चावल के दाने ओर पानी की घंटी ला, ओंधो को सीधा, ढकों को उघाड़ों, उसने कही, उसने सुनी इतवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार आठों वारों का आसरा भरियो पीहर सासरा अटूट भंडार होते चले गये। बहू मे बोला में बेटी के जा रहा हूँ फटे से कपडे पहनकर बेटी के गया। बच्चे बोले नानाजी आये, नाना आये । बेटी बोली-आए क्‍या हें, दो दिन की रोटी तोड़ने आए हैं। सच है गरीबी सब कुछ कहलवा देती हे। बेटी से कहा-बेटी आठों वारों की मेरी कहानी सुन ले। उसने कहा पिताजी मेरा मुंह जूठा हे। उसके पिता भूखे ही सो गये। अगले दिन बेटी को तरस आया तो पिता से बोली-पिताजी-पिताजी, अपनी कहानी सुनाओ। पिताजी ने कहा चावल के दाने लाओ, पानी की घंटी लाओ। ढकों को उघाड़ों,औधो को सीधा करो पिता ने कही बेटी ने सुनी। इतवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार,शनिवार आठ वारों का आसरा भरियों पीहर सासरा। अटूट भंडार होते चल गये। बेटी भर-भर के बोइये बांटने लगी। पड़ोसन ने कहातुम तो कह रही थीं मेरा बापू कुछ नहीं लाया। फिर ये भर-भर के बोइये किस प्रकार से बांट रही हो! बेटी ने उत्तर दिया-मेरे बापू तो खाली हाथ ही आये थे। ये तो आठों वारों की कहानी का फल है। पड़ोसन बोली-अपने बापू से हमको भी कहानी सुनवा दो। उसने पिताजी से कहा। वह बोला-आज तो मेरा मुँह जूठा है, कल सुना दूंगा। अगले दिन उसके बाप ने पड़ोसन को आठों वारों की कहानी सुनाई तो उसके भी खूब अटूट भंडार हो गये। जैसे उस ब्राह्मण के आठों वारों की कहानी से अटूट भंडार भर गये कहते के सुनते के हुंकारा भरने वाले सभी के भरना। 
नितनेम की कथा 
एक गांव में माँ और उसकी दो बेटियां रहती थीं। वह रोजाना नितनेम की कहानी कहा करती थीं। उसकी बेटी ने कहा-”माँ में नितनेम की कहानी कहूँगी।” माँ ने कहा -‘बेटी तेरी कहानी ससुराल में कौन सुनेगा!” उसने जिंद की ओर नितनेम की कहानी कहने लगी। उसकी शादी हुई, ससुराल गई, तो वहां पर सबसे कहती फिरती कि मेरी कहानी सुन लो सभी कुछ-न-कुछ बहाना बनाकर टाल देते। कोई कहानी नहीं सुनता था, तो वे भूखी ही रहती थी। एक दिन पड़ोसन बोली कि में तेरी कहानी सुनूंगी। वह आती, कहानी सुनती तो बहू खा लेती थी। एक दिन ननद ने अपनी 
Load More Related Articles
Load More By amitgupta
Load More In Hindu Fastivals

Leave a Reply

Check Also

What is Account Master & How to Create Modify and Delete

What is Account Master & How to Create Modify and Delete Administration > Masters &…