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दुसरो की तृप्ति में तृप्ति-Satisfaction in fulfillment of others

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Dusro ki tripti me tripti
दुसरो की तृप्ति में तृप्ति 
कलकत्ते के सुप्रसिद्ध विद्वान् श्रीविश्वनाथ तर्क भूषण बीमार पड़े थे। चिकित्सक ने उनकी परिचर्या करने वालों को आदेश दिया…रोगी को एक चंद भी जल नहीं देना चाहिये। पानी देते ही उसकी दशा चिन्ताजनक हो जायगी।
True fulfillment comes from helping others. #leadership #happiness ...
Satisfaction in fulfillment of Others
श्रीतर्कभूषणजी को बहुत तीव्र प्यास लगी थी। उन्होंने घर के लोगों से कहा- अब तक मैंने ग्रन्थो में पढा है तथा स्वयं दूसरों को उपदेश किया है कि समस्त प्राणियों में एक ही आत्मा है, आज मुझे इसका अपरोक्षानुभव करना है। ब्राह्मणों को निमन्त्रण देकर यहॉ बुलाओ और उन्हें मेरे सामने शरबत, तरबूज का रस तथा हरे नारियल का पानी पिलाओ।
घर के लोगों ने यह व्यवस्था कर दी। ब्राह्मण शरबत या नारियल का पानी पी रहे थे और त्तर्क भूषण जी अनुभव कर रहे थे-‘मैं पी रहा हूँ। सचमुच उनकी रोगजन्य तृषा इस अनुभव से शान्त हो गयी।
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